प्रोस्टेट क्यों होता है और इसके लक्षण, कारण व इलाज



 आज के दौर में अधिक उम्र के पुरुषों में प्रोस्टेट संबंधी समस्या उत्पन्न होने लगी है। प्रोस्टेट के आकार में वृद्धि होने के कारण पुरुषों को मूत्र त्याग में समस्या आने लगती है। यदि इस समस्या का समय रहते इलाज किया गया तो इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। लेकिन वहीं समय रहते इलाज करने से इस समस्या के प्रभाव को काफी हद तक कम  किया जा सकता है।

प्रोस्टेट क्या होता है – Prostate kya hai

प्रोस्टेट व्यक्ति के शरीर में मौजूद ग्रंथि होती है। इसको पौरूष ग्रंथि के नाम से भी जाना जाता है। यह छोटी ग्रंथि पुरुष प्रजनन प्रणाली का हिस्सा होती है। यह एक अखरोट के आकार की होती  है, जो पुरुषों के मुत्राशय के ठीक नीचे और मलाशय के सामने होती है। यह मूत्रमार्ग में स्थित होती है।

प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि को बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया (benign prostatic hyperplasia -BPH) कहा जाता है। यह तब होता है जब प्रोस्टेट ग्रंथि की कोशिकाओं में वृद्धि हो जाती है। इन अतिरिक्त कोशिकाओं के कारण व्यक्ति की प्रोस्टेट ग्रंथि में सूजन जाती है, इसी वजह से व्यक्ति का मूत्रमार्ग संकुचित हो जाता है, जिससे मूत्र के प्रवाह में अवरोध होने लगता है। यह ग्रंथि स्खलन(ejaculation) के समय व्यक्ति के शुक्राणुओं को भी बाहर निकालने में सहायक होती है। बीपीएच प्रोस्टेट कैंसर के समान नहीं है और इससे कैंसर का खतरा नहीं होता है। 

हालांकि, यह ऐसे लक्षण अवश्य पैदा कर सकता है, जो व्यक्ति की जीवनशैली को प्रभावित कर सकते हैं। प्रोस्टेट अधिक आयु के पुरुषों में होना आज के दौर में आम बात है। इस समस्या में व्यक्ति को रात में बार बार पेशाब आती है। इस समस्या को जीवनशैली में बदलाव, मेडिकल सर्जरी आदि कई विकल्पों से ठीक किया जा सकता है। व्यक्ति की आयु बीमारी की मौजूदा स्थिति के आधार पर डॉक्टर आपको सही सुझाव देते हैं।

 

प्रोस्टेट के कारण – Prostate ke karan

सामान्यतः प्रोस्टेट या बीपीएच को अधिक आयु के पुरुषों की एक आम समस्या माना जाता है। जबकि 80 वर्ष से अधिक आयु के कई पुरुषों में इसके लक्षण मौजूद होते हैं।

कुछ शोधकर्त्ताओ का मानना है कि मानना है कि उम्र बढ़ने और अंडकोष से संबंधित कारक प्रोस्टेट का कारण हो सकते हैं।

पुरुष अपने जीवन काल में टेस्टोस्टेरॉन (एक तरह का पुरुष हार्मोन) और थोड़ी मात्रा में एस्ट्रोजन (एक तरह का महिला हार्मोन) का उत्पादन करते हैं। जब पुरुषों की उम्र के साथ रक्त में सक्रिय टेस्टोस्टेरॉन की मात्रा कम हो जाती है, तो इससे एस्ट्रोजन का अनुपात पहले की तुलना में अधिक हो जाता है। अध्ययन में पता चलता है कि एस्ट्रोजन की अधिकता उन पदार्थों की सक्रिय करता है जो प्रोस्टेट कोशिकाओं को विकसित करने में सहायक होते हैं।

हालांकि प्रोस्टेट होने के सही कारणों का पता नहीं लगाया जा सका है। अधिक आयु के कारण पुरुषों के सेक्स हार्मोन्स में परिवर्तन को इस समस्या का एक कारक माना जा सकता है।

परिवार में किसी व्यक्ति को प्रोस्टेट की समस्या होने से भी अन्य लोगों को इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा वृषण में होने वाली किसी प्रकार की असामानताएं भी प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने को बढ़ावा देती है।

जिन पुरूषों के वृषण को युवावस्था में ही निकाल दिया जाता है उनको इस समस्या के होने की संभावना नहीं होती है।

प्रोस्टेट के आकार में वृद्धि होने के जोखिम कारक

निम्न बताए गए कारको से प्रोस्टेट के आकार में वृद्धि होने की संभावना बढ़ जाती है, जैसे

  • ·    40 साल या उससे अधिक आयु के पुरूषों में।
  • ·    यदि पहले परिवार में पूर्व किसी सदस्य को प्रोस्टेट की समस्या हुई हो।
  • ·    कुछ मेडिकल स्थितियां जैसे, बीपी होना, हृदय रोग, टाइप डायबिटीज, मोटापा
  • ·    शारीरिक व्यायाम करना

 

प्रोस्टेट के लक्षण – Prostate ke lakshan

प्रोस्टेट या बीपीएच के लक्षण अक्सर पहले से बहुत हल्के होते हैं, लेकिन अगर समय से इलाज नहीं किया जाए तो ये परेशानी अधिक गंभीर हो जाती हैं। प्रोस्टेट के सामान्य लक्षणों में निम्न शामिल हैं:

  • बार बार पेशाब जाने की इच्छा होना
  •  रात के समय बार-बार पेशाब जाने के लिए उठना पड़ता है 
  • पेशाब करते समय खिंचाव या दर्द महसूस होना
  • पेशाब रोक पाने में असर्मथत्ता
  • पेशाब की धारा प्रवाह कमजोर होना
  • अचानक पेशाब जाने की इच्छा होना
  • पेशाब करने के बाद भी बूंद बूंद रिसाब होना
  • पेशाब में रक्त का आना
  • स्खलन के दौरान दर्द होना
  • पीठ के निचले हिस्से, कूल्हों, श्रोणि (पेल्विक-Pelvic) या गुदा क्षेत्र, या ऊपरी जांघों में लगातार दर्द या कठोरता महसूस होना।

यदि व्यक्ति को इनमें से कोई भी लक्षण है तो उसे अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। रोग का  सही समय से इलाज करने से उसकी जटिलताओं को रोकने में मदद मिल सकती है।

इस समस्या को अनदेखा करने से गुर्द (किडनी) की अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।


डॉक्टर के पास कब जाएं

पेशाब करने में परेशानी या समस्या होना एक मेडिकल इमर्जेंसी की स्थित होती है, ऐसे में व्यक्ति को अपने डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए।

अगर पेशाब संबंधी कोई समस्या है या पेशाब में खून रहा हो तो डॉक्टर से जांच करना अनिवार्य होता है। इससे अन्य स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं से बचा जा सकता है।

 खून रहा है, तो डॉक्टर द्वारा ही उसकी जांच की जानी चाहिए, ताकि अन्य किसी गंभीर स्थिती का पता लगाया जा सके। कुछ दुर्लभ मामलों में मूत्राशय और गुर्दे में क्षति के कारण बीपीएच की समस्या हो सकती है।

 

प्रोस्टेट का परीक्षण कैसे होता है – Prostate ka parikshan

यदि आपको ऊपर बताए गए लक्षण महसूस हो तो रहें हों तो डॉक्टर आपको प्रोस्टेट या बीपीएय की जांच के लिए सलाह दे सकते हैं। पेशाब करते समय दर्द या जलन हो रही है या आप पेशाब करने में परेशानी हो रही हो तो ऐसे में अपने डॉक्टर से तुरंत मिलें।

डॉक्टर निम्म आधार पर आपका परीक्षण करते हैं-

·        व्यक्तिगत या पारिवारिक इतिहास जानकर
·        शारीरिक परीक्षण
·        मेडिकल परीक्षण

 

इसमें डॉक्टर सबसे पहले मरीज से उसके परिवार में पहले किसी को रोग हुआ हो तो उसके बारे में जानते हैं। इसके बाद शारीरिक परीक्षण किया जाता है और अंत में मेडिकल परीक्षण किया जाता है, जिसमें डिजिटल रेक्टल परीक्षण (DRE) शामिल है। परीक्षण के दौरान डॉक्टर आपको निम्न परीक्षण करने की सलाह दे सकते हैं।

सिस्टोस्कोपी (Cystoscopy) -  इसमें मूत्रमार्ग या मूत्राशय की जांच की जाती है।

पोस्ट वोइड रेसिड्यूल वॉल्यूम (Post-void residual volume) - पेशाब करने के बाद मूत्राशय में बचे मूत्र को मापा जाता है।  

पीएसए ब्लड टेस्ट(PSA blood test) - प्रोस्टेट कैंसर की जांज के लिए इस परीक्षण को किया जाता है।

अल्ट्रसाउंड (Ultrasound) - प्रोस्टेट का अल्ट्रासाउंड

यूरोनलाइसिस  (Urinalysis) मूत्र परीक्षण

यूरो फ्लो मीटर (Uroflowmetry) - मूत्र के प्रवाह को जांच के लिए

यूरोडायनामिक प्रेशर (Urodynamic pressure) -  पेशाब करने के दौरान मूत्राशय में दबाव का परीक्षण करने के लिए

ब्लड टेस्ट - मूत्राशय के कैंसर के लिए स्क्रीन पर मूत्र का रक्त परीक्षण

पीएसए ब्लड टेस्ट (PSA Blood Test)

प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन (Prostate-specific antigen - PSA, पीएसए) – पीएसए एक प्रोटीन है जो केवल प्रोस्टेट द्वारा बनाया जाता है। जब प्रोस्टेट ग्रंथि स्वस्थ होती है, तो रक्त में बहुत कम पीएसए पाया जाता है।

डिजिटल रेक्टम एग्जाम (Digital Rectal Exam)

इसमें डॉक्टर मरीज के गूदा मार्ग में अंगूली से प्रोस्टेट ग्रंथि के आकार की जांच करते हैं।

 

प्रोस्टेट का इलाज – Prostate ka ilaj in hindi

प्रोस्टेट के इलाज के लिए कई विकल्प मौजूद हैं। डॉक्टर मरीज की स्थिति के आधार पर इलाज का चयन करते हैं। समस्या के हल्के मामलों में किसी भी उपचार की आवश्यकता नहीं हो सकती है, जबकि कुछ मामलों में, छोटी सर्जरी (invasive procedures) (एन्सथिसिया के बिना सर्जरी) अच्छे विकल्प होता है। जबकि कई बार कुछ उपचारों का संयोजन बेहतर रूप से कार्य करता है।

प्रोस्टेट के लिए मुख्य प्रकार के उपचार हैं:

·        सक्रिय निगरानी (Active Surveillance)

·        दवाओं के उपयोग से (Prescription Drugs)

·        कम इनवेसिव सर्जरी (Less Invasive Surgery)

·        अधिक इनवेसिव सर्जरी (More Invasive Surgery)

 

सक्रिय निगरानी (Active Surveillance)

अक्सर, प्रोस्टेट को केवल सक्रिय निगरानी की आवश्यकता होती है। डॉक्टर उपचार के प्रथम चरण में मरीज  को सक्रिय निगरानी के लिए कहते हैं। इसमें डॉक्टर मरीज के प्रोस्टेट की गतिविधियों पर बारीकि से जांच करते हैं। आहार और व्यायाम को अक्सर मरीज के लक्षणों को रोकने में सहायक होते हैं।

हल्के से मध्यम लक्षणों वाले पुरुषों के लिए सक्रिय निगरानी सबसे अच्छा विकल्प है। यह उन पुरुषों के लिए भी एक विकल्प है जो प्रोस्टेट के प्रभाव से परेशान नहीं हैं।

दवाओं के उपयोग से (Prescription Drugs)

अल्फा ब्लॉकर (Alpha Blockers)

अल्फा ब्लॉकर्स प्रोस्टेट और मूत्राशय की मांसपेशियों को शिथिलता या आराम देती हैं। ये दवाएं मूत्र के प्रवाह में सुधार करती हैं, मूत्रमार्ग की रुकावट और प्रोस्टेट के लक्षणों को कम करते हैं। लेकिन यह प्रोस्टेट के आकार को कम नहीं करती हैं। मध्यम से गंभीर प्रोस्टेट वाले पुरुषों के लिए यह एक बेहतर विकल्प होती है।

5-अल्फा रिड्यूकेट इनहिबिटर (5-Alpha Reducatase Inhibitors)

5-अल्फा रिडक्टेस इनहिबिटर दवाएं डीएचटी (DHT) के उत्पादन को अवरुद्ध करती हैं, डीएचटी एक पुरुष हार्मोन है, जो प्रोस्टेट में निर्माण कर सकता है और प्रोस्टेट वृद्धि का कारण बन सकता है। ये दवाएं प्रोस्टेट के आकार को कम करती हैं, मूत्र के प्रवाह को बढ़ाती हैं और प्रोस्टेट की जटिलताओं के जोखिम को कम करती हैं। यह दवाएं सर्जरी की संभावनाओं को भी कर देती हैं। ये दवाएं बड़े आकार वाली प्रोस्टेट ग्रंथि वाले पुरुषों के लिए सर्वोत्तम हो सकती हैं।

संयुक्त थेरेपी (Combined Therapy)

संयुक्त चिकित्सा में अल्फा ब्लॉकर और 5-अल्फा रिडक्टेस इनहिबिटर का एक साथ उपयोग किया जाता है। प्रोस्टेट के अधिक आकार वाले पुरुषों के लिए इसे सुझाया जाता है।

फाइटोथेरपी (Phytotherapies)

फाइटोथेरेपी एक हर्बल उपचार हैं। इसे डॉक्टर द्वारा सुझाव नहीं दिया जाता है।

कम इनवेसिव सर्जरी (Less Invasive Surgery)

कम इनवेसिव (Less Invasive Surgery) के लिए केवल मरीज के शरीर में छोटे कट की आवश्यकता होती है। इस विकल्प को वह पुरुष चुन सकते हैं, जिन्होंने प्रोस्टेट की पहले दवा ली है या जो काम नहीं करते थे या निम्न लक्षणों वाले पुरुष:

·        पेशाब की कमजोर धारा

·        पेशाब करने के लिए तनाव

·        मूत्र पथ की रुकावट, मूत्राशय की पथरी

·        मूत्र में रक्त आने पर,

·        पेशाब के बाद मूत्राशय अधूरा खाली

·        प्रोस्टेट से रक्तस्राव

ऐसे मरीजों को छोटी सर्जरी की साथ अस्पताल में रूकने के लिए नहीं कहा जाता है। इस सर्जरी के बाद ठीक होने में ज्यादा समय नहीं लगता है। ये सर्जरी मूत्र नियंत्रण समस्याओं सहित अन्य लक्षणों में राहत दे प्रदान कर सकती है।

कम इनवेसिव सर्जरी के प्रकार

·        प्रोस्थेटिक यूरेथ्रल लिफ्ट (Prostatic Urethral Lift - PUL)

·        जल वाष्प थर्मल थेरेपी (Water Vapor Thermal Therapy)

·        ट्रांसयूथर्ल माइक्रोवेव थेरेपी (Transurethral Microwave Therapy - TUMT)

·        कैथीटेराइजेशन (Catheterization)

 

अधिक इनवेसिव सर्जरी (More Invasive Surgery)

प्रोस्टेट के गंभीर मामलों में, या जब अन्य उपचार विफल हो जाते हैं, तो अधिक इनवेसिव सर्जरी की सिफारिश की जाती है। अधिक इनवेसिव सर्जरी सबसे अच्छा है अगर आप मरीज को निम्न स्थिति का सामना करना पड़ रहा है-

·        परेशान करने में असमर्थ

·        गुर्दे (किडनी) की क्षति

·        बार-बार मूत्र मार्ग में संक्रमण होना

·        पेशाब में बहुत खून बहना

·        मूत्राशय में पथरी होना

इस समस्या में डॉक्टर अधिक इनवेसिव सर्जरी का विकल्प चुनने के लिए कहते हैं।

अधिक इनवेसिव सर्जरी के प्रकार-

·        प्रोस्टेट का ट्रांसयुरेथ्रल इंसिडेंस  (Transurethral Incision of the Prostate - TUIP)

·        फोटोजिनेटिव वाष्पीकरण (Photoselective Vaporization - PVP)

·        प्रोस्टेट के लिए ट्रांसयुरेथ्रल रेजिन (Transurethral Resection of the Prostate - TURP)

·        प्रोस्टेट (Holmium Laser Enucleation of Prostate - HoLEP)

·        प्रोस्टेट  के लिए थ्यूलियम लेजर इंयूक्लिशन (Thulium Laser Enucleation of the Prostate - ThuLEP)

·        प्रोस्टेट  के लिए ट्रांसरेथ्रल वैपलेशन (Transurethral Vaporation of the Prostate -TUVP)

·        ट्रांस्युरेथ्रल वाटर-जेट एब्लेशन (Transurethral Water–Jet Ablation -TWJA)

बीमारी से बचाव के लिए आपको अपनी दिनचर्या को सुधार करना चाहिए। इस रोग की पहचान होने पर ही मरीज को डॉक्टर से मिलकर उचित परामर्श लेना चाहिए।


प्रोस्टेट होने पर क्या न खाएं 
  • लाल और संसाधित मांस
  • चीनी
  • कैल्सियम और डेरी उत्पाद
  • डिब्बा बंद टमाटर और टमाटर से बने उत्पाद
  • नॉन आर्गेनिक आलू
  • माइक्रोवेव में बने पॉपकॉर्न
  • ज्यादा फ्राई किया हुआ आलू या आलू का चिप्स
  • शराब
  • फ्लैक्स सीड
  • कैफीन

प्रोस्टेट से बचने के लिए क्या खाएं


1) फाइबर वाले आहार

भोजन में मौजूद फाइबर प्रोस्‍टेट कोशिकाओं को बढ़ने में रोकथाम करने में सहायक होती हैं। इसके लिए आपको फलों में सेब व खट्टे फल, सब्जियों में आलू, गाजर, मटर व सेम खानी चाहिए। इसके अलावा आपको ऑट्स और जौ भी खाने चाहिए। कुछ फाइबर को लेने के लिए आपको सब्जियां जैसे ब्रोकली, पालक, हरी बीन्स व फलों में केले व नाशपाती को खाना चाहिए।


2) फल व सब्जियां

सभी चमकीले रंग के फल जैसे चेरी, ब्लूबेरी, अंगूर, तरबूज व सब्जियां में जैसे गोभी व टमाटर एंटीऑक्सीडेंट विटामिन (विटामिन ए और ई) पाया जाता है, यह प्रोस्टेट की समस्या को कम करने में मददगार होता है।

3) समुद्री आहार

ऐसी मछलियों का सेवन करना चाहिए जिसमें ओमेगा फैटी एसिड होता हो, ये प्रोस्टेट के कैंसर को रोकता है।

4) नट व बीज

बादाम व अखरोट में सेलेनियम नामक तत्व की मात्रा ज्‍यादा पाई जाती है, यह तत्व प्रोस्‍टेट ग्‍लैंड को बढ़ा नहीं होने देता है। इसके अलावा इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट प्रोस्‍टेट हेल्‍थ को बेहतर करते हैं। फ्लैक्‍स बीज में लिग्निन (lignin) फाइबर की मात्रा अधिक होती है जो कब्‍ज़ को खत्‍म करने का काम करते हैं। इसके अलावा ये ओमेगा 3 फैटी एसिड से पैदा होने वाले कणों को रोकते हैं। इनमें प्रोस्‍टेट कैंसर को रोकने के लिए फाइजोस्‍ट्रोजल (phytoestrogens) भी पाया जाता है।


5) सोयाबीन प्रॉडक्‍ट

सोयाबीन के प्रॉडक्‍ट जैसे टोफू, टेम्‍पेह और सोया मिल्‍क प्रॉटीन के मुख्‍य स्‍त्रोत हैं। इसमें आइसोफ्लेवन कंटेट भी पाया जाता है। इसके केमिकल कंपाउंड पुरुषों के हार्मोन डिहाइड्रोटेस्‍ट्रोन (dihydrotestosterone) के स्‍तर को कम करते हैं। इसके अलावा प्रोस्‍टेट को बढ़ने से रोककर उसे संतुलित करते हैं।


Source -

https://www.webmd.com/men/prostate-enlargement-bph/what-is-the-prostate#1

https://www.health.harvard.edu/mens-health/10-diet-and-exercise-tips-for-prostate-health

https://www.nia.nih.gov/health/prostate-problems

https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/benign-prostatic-hyperplasia/symptoms-causes/syc-20370087

https://www.healthline.com/health/enlarged-prostate

https://www.webmd.com/men/prostate-enlargement-bph/what-is-bph#1

https://www.urologyhealth.org/urology-a-z/b/benign-prostatic-hyperplasia-(bph)

https://www.myupchar.com/disease/benign-prostatic-hyperplasia-bph

 

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